3 जुलाई 2023 को विश्व स्तर पर सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया। यू.एस. नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन के आंकड़ों के मुताबिक, इस दिन औसत वैश्विक तापमान 17.01 डिग्री सेल्सियस यानी 62.62 फारेनहाइट तक पहुंच गया।
जलवायु परिवर्तन और उभरता अल नीनो पैटर्न बना कारण
इस नए रिकॉर्ड तापमान ने अगस्त 2016 के 16.92 डिग्री सेल्सियस यानी 62.46 फारेनहाइट के रिकॉर्ड को पार कर लिया। इस दौरान दुनियाभर में लू चल रही थी। इसका कारण अल नीनो मौसम पैटर्न को बताया गया है।
क्या होता है अल-नीनो ?
दरअसल, अल-नीनो इफेक्ट मौसम संबंधी एक विशेष घटना की एक स्थिति है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है। आसान भाषा में समझें तो इस इफेक्ट की वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है।
इसकी वजह से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाला गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है, जिससे भारत के मौसम पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे के हालात बनने लगते हैं।
अमेरिका भी भीषण गर्मी से जूझ रहा
ज्ञात हो, अमेरिका हाल के सप्ताहों में चरम मौसम के बीच भीषण गर्मी से जूझ रहा है। वहीं चीन के भी कुछ हिस्सों में 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान के साथ भीषण गर्मी जारी रही। उत्तरी अफ्रीका की बात करें तो यहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया है और मध्य पूर्व में, सऊदी अरब में हज धार्मिक यात्रा के दौरान हजारों लोग असामान्य रूप से चिलचिलाती गर्मी से पीड़ित हैं।
अंटार्कटिका में दर्ज हुआ उच्च तापमान
अंटार्कटिका में असामान्य रूप से उच्च तापमान दर्ज किया गया है जबकि इस समय वह अपनी शीत ऋतु में है। इस विशाल जमे हुए महाद्वीप के अर्जेंटीना द्वीप समूह में यूक्रेन के वर्नाडस्की अनुसंधान आधार ने हाल ही में 8.7 डिग्री सेल्सियस की रीडिंग के साथ अपना जुलाई तापमान रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
वैज्ञानिकों ने जलवायु संकट पर जताया अफसोस
वैज्ञानिकों ने अल-नीनो मौसम पैटर्न के कारण जलवायु संकट पर अफसोस जताया है, जिसकी नवीनतम चेतावनी संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने इस सप्ताह शुरू होने की चेतावनी दी थी।